Sunday, 2 April 2017

विरह पद | कृष्ण की याद में विरह |गोपी विरह | ब्रजवासी विरह | कृष्ण के लिए वियोग



ब्याकुल भए ब्रज के लोग ।
स्याम मन नहिं नैकु आनत, ब्रम्ह पूरन जोग ।।

कौन माता, पिता को है, कौन पति, को नारि ।
हँसत दोउ अक्रूर के सँग, नवल नेह बिसारि ।।
कोउ कहत यह कहा आयौ, क्रूर याकौ नाम ।
सूर-प्रभु लै प्रात जैहै, और सँग बलराम ।।

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