Thursday 1 September 2016

फूलो में सज रहे है श्री वृंदावन बिहारी और साथ सज रही है ब्रिजभानु की दुलारी टेड़ा सा मुकुट रंखा है कैसे सर पर करुणा बरस रही है करुणा भरी निगाह से बिन मोल बीके गयी हु जबसे छबि निहारी फूंलों मेन सज रहे है श्री वृंदावन बिहारी 


बन जाऊं तेरी प्यारी तुझे प्यार करते करते जीवन बिताया सारा इंतज़ार करते करते रह रह के मेरे दिल में उठती है ये तरंगे हैं दिल में मेरे केवल तुझसे मिलने की उमंगे कभी आ भी जाओ प्रीतम , यु ही राह चलते चलते बन जाऊं तेरी प्यारी तुझे प्यार करते करते जीवन बिताया सारा इंतज़ार करते करते...... Radhe Radhe

No comments:

Post a Comment